बीएड में कम होंगी 25 हज़ार सीटें: दो वर्षीय बीएड में नियम सख्त होने से एडेड व सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में कम हो गईं सीटें अच्छी रैंक पाने वालों को होगा घाटा - News everytimes

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Friday 3 June 2016

बीएड में कम होंगी 25 हज़ार सीटें: दो वर्षीय बीएड में नियम सख्त होने से एडेड व सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में कम हो गईं सीटें अच्छी रैंक पाने वालों को होगा घाटा

बीएड में कम होंगी 25 हज़ार सीटें: पढ़ें आखिर ऐसा क्यों हुआ

लखनऊ : सूबे में बीएड कोर्स की करीब 26 हजार सीटें इस बार कम हो जाएंगी। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा दो वर्षीय बीएड में नियम सख्त होने के कारण कॉलेजों में पिछले साल की तुलना में शिक्षकों की संख्या करीब दोगुनी होनी जरूरी है, जो नहीं हो पाई। सरकारी सहायता प्राप्त (एडेड) डिग्री कॉलेजों में नए शिक्षकों की भर्ती इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि समय रहते शासन व विश्वविद्यालय से पद सृजित नहीं हो पाए। ऐसे में ज्यादातर एडेड डिग्री कॉलेजों ने अपने यहां सीटें आधी कर दीं, ताकि कोर्स चलाया जा सके। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में भी सीटें घट गईं। जबकि नए कॉलेजों के बढ़ने के कारण सात हजार नई सीटें जुड़ रही हैं फिर भी इस बार करीब 1.58 लाख सीटें ही बीएड में होंगी जो कि पिछले साल 1.84 लाख थीं।
बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के राज्य समन्वयक प्रो. वाईके शर्मा ने बताया कि एनसीटीई के सख्त नियमों के कारण एडेड कॉलेजों में काफी सीटें कम हो रही हैं और कुछ सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों ने भी अपनी सीटें घटा दी हैं। दो वर्षीय बीएड में 50 सीटों के एक सेक्शन के लिए छह शिक्षक जरूरी हैं। अगर वह 100 व 80 सीटों का सेक्शन चलाएंगे तो 12 शिक्षक चाहिए होंगे। शिक्षक भर्ती न हो पाने के कारण कॉलेजों ने अपनी सीटें कम कर कोर्स बचाने की कोशिश की है। वहीं अब ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने अपना ब्योरा दे दिया है, सिर्फ दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के करीब 50 कॉलेज और डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय, फैजाबाद के 25 कॉलेजों का ब्योरा मिलना बाकी है। अगर इन सभी को जोड़ लिया जाए तो इस बार बीएड में करीब 1.58 लाख सीटें ही होंगी। अभी तक बीएड में करीब 151964 सीटों का ब्योरा मिल चुका है। इसके बाद अभी गोरखपुर व फैजाबाद विवि के बाकी 75 कॉलेजों की सीटों का ब्योरा इसमें जल्द जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद यह आंकड़ा 1.58 लाख हो जाएगा। इस बार बीएड में 2.64 लाख अभ्यर्थियों ने क्वालीफाई किया है। ऐसे में अच्छे कॉलेजों की सीटें पाना थोड़ा कठिन हो सकता है। पिछले वर्ष बीएड में 1.84 लाख सीटें थी और 1.62 लाख अभ्यर्थी बीएड प्रवेश परीक्षा क्वालीफाई कर पाए थे।
गोरखपुर विवि की शिकायत मुख्य सचिव से की गई : अभी तक दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर ने अपने सभी करीब 50 कॉलेजों का ब्योरा नहीं भेजा है। ऐसे में बीएड काउंसिलिंग में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के राज्य समन्वयक प्रो. वाईके शर्मा ने बताया कि उन्होंने इसकी जानकारी मुख्य सचिव कार्यालय को दे दी है।
नई सात हजार सीटें जुड़ने के बावजूद 1.58 लाख तक ही पहुंच सकीं सीटें
बीएड कोर्स चलाने के लिए एनसीटीई के सख्त नियमों के कारण एडेड कॉलेजों में 100 व 80 सीटों के बजाए सिर्फ 50 सीटों का ही एक सेक्शन चलाने का निर्णय लिया है। एडेड कॉलेजों में बीएड कोर्स की फीस 1400 रुपये से लेकर अधिकतम पांच हजार रुपये है। जबकि सेल्फ फाइनेंस कोर्स में बीएड की फीस पहले साल में करीब 51250 रुपये व दूसरे साल में 30 हजार रुपये है। ऐसे में एडेड कॉलेजों की सीटें कम होने से छात्रों का झटका लगेगा। लखनऊ में ही एडेड कॉलेजों में करीब 90 सीटें कमहैं।
रही हैं।